२६जून २०१६
जीवन में
हमें जिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है और जिन लोगों के सम्पर्क में हम आते हैं वे
सभी परिस्थितियाँ और लोग किसी न किसी रूप में हमें विकसित करने के लिए उत्सुक हैं.
उनके प्रति हमारा रवैया ही इस बात को तय करेगा कि हम इस अवसर का लाभ उठा रहे हैं अथवा
इससे स्वयं की हानि कर रहे हैं. आत्मा की उन्नति अथवा अवनति की सौ प्रतिशत
जिम्मेदारी उसकी स्वयं की होती है. बाहरी रूप से परिस्थिति चाहे कैसी हो, किन्तु
भीतर से हमारी प्रतिक्रिया कैसी रही, कर्म का फल इसी बात से मिलता है.
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