Wednesday, August 26, 2020

स्वस्थ रहेगा तन, मन जिसका

 भूमि की गहराई में जल, तेल तथा अन्य बहुमूल्य पदार्थ छिपा होता है, जिसे गहरी खुदाई करके निकाला जाता है, वैसे ही शरीर की गहराई में आत्मा की अनंत शक्ति छिपी है जिसे उजागर करने पर स्वास्थ्य सहज ही मिलता है. कमरे की  खिडकियों पर यदि भारी पर्दे लगे हों तो कमरे में प्रकाश मद्धिम सा ही दीख पड़ता है वैसे ही यदि मन पर प्रमाद छा जाये तो आत्मा की शक्ति ढक जाती है व तन अस्वस्थ हो जाता है. किसी संस्थान को सुचारू रूप से चलाने के लिये अनुशासन बहुत जरूरी है वैसे ही शरीर रूपी संस्थान ठीक रहे इसके लिये सोने, जागने, व्यायाम, भोजन का अनुशासन बहुत जरूरी है. कार के भीतर ड्राइवर स्टीयरिंग पर से कंट्रोल छोड़ दे तो दुर्घटना होगी ही वैसे ही तन रूपी रथ की सारथी बुद्धि, मन रूपी घोड़े को खुला छोड़ दे, भोजन, नींद, व्यायाम में संयम, तथा सही मात्रा व सही समय का ध्यान न रखे तो हम स्वस्थ कैसे रह सकते हैं. प्रकृति में एक गति है, लय है, रात-दिन तथा ऋतु परिवर्तन उसी लय के अनुसार होते हैं वैसे ही तन, श्वास तथा मन में भी एक लय है जिसके बिगड़ने पर रोग हो सकते हैं. शरीर के भीतर स्वयं को स्वस्थ रखने का पूरा प्रबंध है बस उसे हमारा सहयोग चाहिए. जरूरत से ज्यादा उसे थकाएं भी नहीं और आराम भी न दें. नम वातावरण में, गीले मौसम में ठंडी चीजें नुकसान करती हैं, इनसे दूर ही रहें. हम रेल यात्रा करने जाएँ तो हमारी सीट, कूपा तथा सहयात्री सभी पहले से तय होते हैं वैसे ही जीवन यात्रा में हमें जहाँ-जहाँ जो मिलेगा वह पूर्व निर्धारित है, हम रेल यात्रा को सुखद बनाना जानते हैं, वैसे ही सही दृष्टिकोण रखकर हम जीवन यात्रा को सुखद बना सकते हैं.


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