ध्यान हमें सिखाता है कि मन व्यर्थ के संकल्प-विकल्प करके अपनी ऊर्जा न गंवाए. नकारात्मक विचारों का दुष्प्रभाव शरीर और मन दोनों पर ही होता है जो बाद में रोग का रूप ले सकता है. ध्यान में हम मन के साथ अपने तादात्म्य को तोड़ते हैं और उसे निर्देशित करने में संभव होते हैं. इससे हम अपने विचारों के प्रति सजग हो जाते हैं और मन में स्पष्टता का अनुभव होता है. ध्यान के बाद एकाग्रता बढ़ जाती है जिसका अच्छा प्रभाव हमारे सभी कार्यों पर पड़ता है. ध्यान हमारे शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, भावनात्मक व आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है. देह को स्वस्थ रखने के लिए जैसे व्यायाम आवश्यक है वैसे ही मन को स्वस्थ रखने के लिए मन का पूर्ण विश्राम आवश्यक है, जो ध्यान में ही मिल सकता है.
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