जीवन एक रहस्य है. अरबों-खरबों नक्षत्र और सृष्टि का अनंत विस्तरित रूप इसे रहस्यमय बनाता है. प्रकृति का स्रोत क्या है, कैसे एक नन्हा सा बीज विशाल बरगद का वृक्ष बन जाता है, कैसे ऋतु आने पर अपने आप ही धरती में दबे हुए हजारों बीज अंकुरित हो जाते हैं. बुद्धि से इसे समझना बहुत कठिन है. मन में हजारों संकल्प उठते हैं, इनका क्या स्रोत है. विचार उठकर कहाँ खो जाते हैं. इस क्षण इस पृथ्वी पर अरबों मनों में विचार उठ रहे होंगे, इस अनन्त ऊर्जा का स्रोत भी एक रहस्य है. मन में इच्छा जगती है और हम उसके अनुसार कर्म करते हैं, यदि यह इच्छा स्वयं को जानने की इच्छा बन जाये तो सम्भवतः अपने स्रोत का अनुभव मन कर सकता है. ध्यान में यही होता है. यदि कोई जीवन भर जगत की ही इच्छा करता रहे तो उसे जगत ही मिलेगा, यदि परमात्मा की इच्छा जगे तो जीवन में उस रहस्यमय का पदार्पण होगा. सन्तुष्टि का इसलिए इतना महत्व है, जब मन बाहर से सन्तुष्ट हो जाये तभी तो वह भीतर की और मुड़ेगा.
उपयोगी आलेख।
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
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