Sunday, February 14, 2021

मन की ताकत जो पहचाने

 

हमने न जाने कितनी बार यह पढ़ा है और सुना है कि हम जैसा सोचते हैं, वैसे ही हो जाते हैं। हमारा भाग्य पल-पल हमारी सोच के द्वारा ही लिखा जाता है। अपने विचारों में यदि उच्चता, दृढ़ता और एकाग्रता हो तो हमारा जीवन स्वयं के लिए व औरों के लिए भी सहज, सरल और सुंदर होगा। किन्तु अक्सर हम पाते हैं विचार बिखरे हुए हैं, एक-दूसरे के विरोधी हैं और दृढ़ नहीं रह पाते। इसलिए जीवन भी उलझा हुआ, अस्पष्ट तथा दुरूह प्रतीत होने लगता है। इसका कारण है कि हमने मन की शक्तियों को कभी समझा ही नहीं, शास्त्र कहते हैं मन परमात्मा की तीन शक्तियों से सम्पन्न है, वे हैं इच्छा शक्ति, क्रिया शक्ति और ज्ञान शक्ति। जैसी इच्छा हमने जगायी, उसी के अनुरूप क्रिया जाने-अनजाने होने लगती है। उदाहरण के लिए यदि किसी के भीतर चोरी की इच्छा जगी तो उसके लिए वैसी ही परिस्थतियों का निर्माण हो जाएगा। बाद में वह कहता है कि उसने ऐसा नहीं किया, न जाने कैसे उससे हो गया, क्योंकि उस क्षण वह मन की उस कामना से बाहर था। मन जितना सकारात्मक होगा, जीवन में वैसी ही परिस्थितियाँ प्रकट होंगी, यदि नकार की तरफ झुका होगा तो उन्हीं घटनाओं व व्यक्तियों को जीवन में आकर्षित कर लेगा जो नकारात्मक हैं। वास्तव में हम मन नहीं हैं, आत्मा हैं, किन्तु जब तक यह अनुभव के रूप में नहीं आता, जब तक हम मन के घाट पर ही जीते हैं, पल-पल सचेत रहना होगा। जाने-अनजाने जो विचार भीतर चलते हैं वे ही वस्तु, व्यक्ति और घटना बनकर हमारे सम्मुख आते रहेंगे।

5 comments: