Monday, February 8, 2021

निज संस्कृति का सम्मान करे जो

 आज भारत में कोरोना से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या अन्य देशों की तुलना में काफी कम है और स्वस्थ होने की दर भी अधिक है. काफी हद तक इसका श्रेय जन-जन में बसे आयुर्वेद के ज्ञान को दिया जा सकता है. हम बचपन से ही घरेलू वस्तुओं जैसे अदरक, हल्दी, हींग, तुलसी, त्रिफला, मुलेठी, अजवायन, जीरा, सौंफ आदि का  सामान्य रोगों के लिए उपयोग करते आ रहे हैं. किसी वस्तु की तासीर या प्रकृति गर्म है या ठंडी इसका निर्देश वास्तव में आयुर्वेद में ही दिया गया है.  भारतीय संस्कृति विश्व की पुरातन संस्कृति होने के साथ-साथ अपने भीतर ज्ञान के अथाह सागर को समेटे हुए है. इसके मूल स्रोत और आधार वेद हैं. इन्हीं वेदों का एक उपवेद  आयुर्वेद विश्व का प्राचीनतम चिकित्सा शास्त्र है. आयुर्वेद का उद्देश्य स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना है और रोगी व्यक्ति के रोग को दूर करना है. इसमें इलाज से भी ज्यादा महत्व पथ्य-अपथ्य को दिया जाता है. इसके अनुसार पहले रोग उत्पन्न करने वाले कारणों का त्याग करना चाहिए.यह बताता है कि रोग से कैसे बचा जाए और यदि रोग किसी कारण से हो भी जाये तो उसे पूरी तरह से कैसे दूर किया जाये. इस पद्धति व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है जिससे उस पर रोग का आक्रमण ही न हो. अस्वस्थ होने पर रोग के मूल कारण को पहचान कर पहले उस कारण को  दूर किया जाता है, केवल रोग के लक्षणों को दूर करके रोगी को आराम नहीं पहुंचाया जाता. आज जरूरत है कि हम आयुर्वेद से अधिक से अधिक परिचित हों और घर-घर में मिलने वाली इन औषधियों के प्रयोग से स्वयं को सबल बनाएं. 


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