प्रारब्ध ने हमें जो भी दिया है उसे सहर्ष स्वीकार करके हम जीवन को जीते हैं तो कई मुश्किलों से सहज ही बचे रहते हैं। जो भी बीज हमने अतीत में बोए हैं उनकी फसल हमें ही काटनी होगी। जिस मन में राग जगाया था, उसी में द्वेष की दीवार भी अपने आप खड़ी हो जाती है, जिसे हमें ही पाटना होगा। कोई भी कर्म देर-सवेर अपना फल दिए बिना नहीं मिटता है। जो भी हमें मिला है यदि उसे सबके साथ साझा करने की मंशा के साथ जीवन को जिएँ तो यह स्वतः ही सुंदर बन जाता है। एक परम शक्ति जो परम ज्ञानमयी भी है सदा ही इस सृष्टि का लालन-पालन कर रही है, उसका हाथ सदा ही हमारे सिर पर है, वह हमसे दूर नहीं है, इतना भरोसा मन में रखकर यदि हम जीवन के पथ पर कदम रखते हैं तो हर बाधा अपने आप ही मिट जाती है। अपने अंतर की गहराई में जाकर ही सच्चे जीवन से परिचय होता है और तब यह ज्ञान होता कि दुःख के बीज बोना या सुख के बीज बोना हमारे अपने हाथ में है। सजग होकर जीने की कला जिसने सीख ली है वही योग को प्राप्त हो सकता है।
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