Tuesday, July 4, 2023

मर्म गुरु का जाना जिसने

जब किसी के जीवन में गुरु का पदार्पण होने वाला होता है, उसके पूर्व उसके मन में ईश्वर के प्रति प्रेम जागृत होता है। वह ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उसे कोई पथ प्रदर्शक भेज दे। वह मार्ग ढूँढ रहा होता है पर उसे मार्ग दर्शक नहीं मिलता। तब अस्तित्त्व या परमेश्वर ही गुरु को भेजते हैं। गुरु, आत्मा और ईश्वर एक ही हैं। जब पुकार आत्मा की गहराई से उठती है, अंतर्यामी परमात्मा उसे सुन लेता है और उससे एक हुए गुरु तक वह पहुँच जाती है। दिल की गहराई से की गई कोई प्रार्थना व्यर्थ नहीं जाती, वह अवश्य फलीभूत होती है। हमारी प्यास यदि सच्ची है तो जल वहीं छलक जाता है।जीवन में जैसे उजाला हो जाता है, गुरु का अर्थ ही है जो अंधकार को दूर करे और प्रकाश फैलाए। कोई एक सदगुरु  करोड़ों लोगों के जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैला सकते हैं । वह आत्मा की गहराई में वैसे ही जुड़े हैं जैसे परमात्मा सर्वव्याप्त है। वह भी अंतर्यामी हैं, उनके मन व बुद्धि गंगाजल की तरह पवित्र और कैलास स्थित मानसरोवर के हंस के समान नीर-क्षीर विवेकी हैं। वह शुद्धता की कसौटी पर सच्चे मोती की तरह हैं, वह निसंग, निर्द्वंद, निरंजन हैं। वह निरन्तर समाधि का अनुभव करते हैं। वह उस तत्व से जुड़े हैं जो अविनाशी, अजर, अमर है, वह उस ज्ञान की पराकाष्ठा हैं जो हृदय को आनंद व प्रेम से भर देता है। 


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