Tuesday, July 11, 2023

सत्यं शिवं सुंदरं

जीवन का हर पक्ष सुंदर हो, साधक को सदा इस बात का बोध रहना चाहिए। सौंदर्य  की परख भी प्रेम, शांति तथा आनंद की भाँति मन की गहराई में जाकर मिलती है। शुद्ध चैतन्य को 'सत्यं शिवं सुंदरं' कहा गया है, जिससे जुड़कर साधक को सूक्ष्म व अरूप सौंदर्य की झलक मिलती है। जो अपने भीतर गया है वही प्रकृति के भीतर छिपे उस अनाम सौंदर्य से जुड़ सकता है। वायु का स्पर्श, आकाश की अनंतता, अग्नि की लपटों का आकर्षक रूप, बहाते हुए जल का कलकल नाद, उसमें उठती हुई तरंगें, धरती पर पर्वत, घाटियाँ, जंगल, आदि उसे सौंदर्य  की ख़ान के रूप में दिखायी देते हैं। इस असीम सुंदरता को संरक्षित व  सुरक्षित रखने की भावना सहज ही भीतर जगती है। उन्हें प्रदूषित करने का विचार भी उसके मन में  नहीं आ सकता। यदि नई पीढ़ी को बचपन से ही ध्यान सिखाया जाये तो वे इस गुण को सहज ही अपना लेंगे और अपने आस-पास एक सुंदर वातावरण का निर्माण करेंगे। 


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