Wednesday, October 5, 2011

जागृत मन


मई २००२ 
मन सोया है या जाग गया है इसका पता कैसे चले तो शास्त्र बताते हैं कि सजगतापूर्वक वर्तमान में रहना इसकी पहली निशानी है. भूत का पश्चाताप भीतर न चलता हो भविष्य की कल्पना में संकल्प न उठते हों जिस क्षण जो कार्य हम कर रहे हों पूर्ण रूप से मन वहीं टिका हो तो ऊर्जा बचती है. दूसरी पहचान है मन सहज ही आनन्दित हो कुछ करके या कुछ पाकर खुश होना सोये मन का काम है, समाहित मन तो भीतर अपने मूल से जुड़ा होने कारण सहज ही प्रसन्न होता है. अहंकार वर्तमान में नहीं होता अहंकार भूत या भविष्य के साथ ही जुड़ा है और दुख का कारण वही है. जो वस्तु, व्यक्ति, या परिस्थिति हमारे सामने आये सहज बुद्धि से उसके साथ व्यवहार करने के बाद यदि मन खाली रहता है तो मन जाग गया है. यदि प्रभाव में आ जाता है तो सोया है.   
  

3 comments:

  1. आपकी डायरी के पन्नों से बड़े काम की जानकारी मिलती है।

    ReplyDelete
  2. अनीता जी...

    बहुत सही तरीका बताया आपने जागृत मन की पहचान का... कभी कभी ऊंघने लगता है मन :) तब इस तरह के सुखद झोंके जगा जाते हैं उसे ..बहुत आभार

    ReplyDelete