Tuesday, July 2, 2019

शुभता का जब कुसुम खिलेगा



यदि कोई सत्य की राह में चलता है तो उसे अस्तित्त्व से अपने आप मार्ग मिलने लगता है. यदि कोई सिर बन्दगी में झुकता है तो आशीर्वाद उसी तरह अपने आप बरसने लगते हैं, जैसे खाली जगह देखकर हवा कहीं से चली ही आती है. इस सृष्टि में हरेक के लिए अवसर है. इस जीवन से हम क्या चाहते हैं, यह भर हमें तय करना है. हृदय की गहराई से निकली हर चाह अपनी पूर्ति के लिए ऊर्जा साथ लेकर ही उत्पन्न होती है. जैसे एक बीज में फूल बनकर खिलने का पूरा सामर्थ्य है वैसे ही हर शुभ इच्छा एक बीज ही है जो एक न एक दिन खिलने वाली है. हमारा आज वही तो है जो कल हमने चाहा था, आने वाला कल भी हमें एक खाली कैनवास की तरह मिला है, जिसमें रंग भरने की हमें पूरी आजादी है.

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