उत्तर में हिमालय से दक्षिणी तट के अंतिम छोर तक भारत बसता है, प्रान्त-प्रान्त में अपनी अनोखी संस्कृति के साथ भारत हँसता है. वाकई सारी दुनिया में सबसे अनोखा है भारत, जो हजारों वर्षों से अपनी छवि को बरकरार रखे हुए है. इसके पीछे एक ही कारण नजर आता है, यहां की माटी में अध्यात्म रचा-बसा है. वेद मन्त्रों का गायन, यज्ञ, होम, हवन और अंतर को निर्मल करने वाले उपनिषदों का अध्ययन इसे शाश्वतता प्रदान करता है. ऋषि-मुनियों की अंतर्दृष्टि से उपजे सृष्टि के अनोखे रहस्यों को उजागर करते महान ग्रन्थ आज भी यहाँ मौजूद हैं. भले ही आक्रांताओं द्वारा पुस्तकालयों को नष्ट कर दिया गया हो, ज्ञान की वह मशाल जो एक बार किसी ज्ञानी के अंतर में जल जाती है, दुनिया के किसी जल से बुझाई नहीं जा सकती. राम हों या कृष्ण, बुद्ध हों या महावीर, कबीर हों या मीरा, सभी ने भारत भूमि को गौरवान्वित किया है, कर रहे हैं और करते रहेंगे. यहाँ शिव की पूजा शिव होकर की जाती है, भगवान को अपने से दूर नहीं बल्कि स्वयं में ही देखना सिखाया जाता है. मस्ती भरी एक उदासीनता, एक फक्कड़पन यहाँ की जलवायु में घुला-मिला है. भारत के इस गौरव को बनाये रखने और बढ़ाने में हर भारतीय अपना योगदान दे सकता है. पर्यावरण के प्रति सजग होकर, अपने नियत कार्य को भली प्रकार करके, एक नागरिक के कर्त्तव्यों को निभाकर और सबसे आवश्यक आने वाली पीढ़ी को इसके प्राचीन अनमोल साहित्य से परिचित कराकर हम सभी यह कार्य कर सकते हैं.
भारत, मुझ से जुड़ा वो नाम जिस नाम के आगे फिर किसी अन्य सम्मान की जरूरत नहीं पड़ती।
ReplyDeleteइसकी संस्कृति पौराणिक साहित्य में रमी हुई है।
हमें पुराने साहित्यों की ओर लौटना चाहिए।
सार्थक भावपूर्ण रचना।
स्वागत व आभार !
DeleteFantastic Content! more:iwebking
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