शास्त्र शुद्ध बुद्ध, मुक्त आत्मा का संदेश देते हैं. तन-मन से अशुद्धियाँ निकल जाएँ, यह प्रार्थना ही हर कोशिका को जीवंत कर देती है जीवन से हर विकार दूर हो, प्रमाद, आलस्य और तमस की नींद से जाकर हम जीवन में नया सवेरा लाएं.परमात्मा की दी हुई शक्तियों को इस्तेमाल कर स्वयं से व्यक्त होने का उन्हें मौका दें. अध्यात्म का अर्थ है आत्मा हमसे प्रकटे, तन और मन उसमें बाधा न बनें तो वह स्वयं प्रकाशित है जैसे कोई खिड़की का पट उढ़का ले तो सूरज का प्रकाश रुक जाता है. प्रकाश के लिए सूरज बनाना तो नहीं है, न ही कहीं से लाना है,आत्मा है, हमने रोक हुआ है उसका मार्ग. देह स्थूल है, मन भी स्थूल है, देह प्रकृति है, मन भी प्रकृति का अंग है, जो पल-पल बदल रही है, आत्मा सदा एक सी स्वयं में पूर्ण है, उसको मार्ग दें तो वह अपनी मुस्कान से भर देगी तन, मन दोनों को जैसे सूर्य प्रकाशित करता है घर की हर शै को !
प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती हैं ,बहुत ही सुंदर बात कही हैं आपने ,सादर नमन
ReplyDeleteसही कहा है आपने कामिनी जी
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ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 27 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार रवींद्र जी !
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (28-02-2020) को धर्म -मज़हब का मरम (चर्चाअंक -3625 ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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आँचल पाण्डेय
बहुत बहुत आभार !
Deleteअध्यात्म का अर्थ है आत्मा हमसे प्रकटे, तन और मन उसमें बाधा न बनें
ReplyDeleteवाह!!!!
क्या बात...लाजवाब।
स्वागत व आभार !
Deleteपरमात्मा की दी हुई शक्तियों को इस्तेमाल कर स्वयं से व्यक्त होने का उन्हें मौका दें... क्या खूब कहा है अनीता जी । आज आध्यात्म को आम जन तक लाने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteस्वागत व आभार अलकनन्दा जी !
Deleteस्वागत व आभार !
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