इस वर्ष को समाप्त होने में मात्र दो दिन और चंद घंटे ही बाकी हैं, फिर पल भर को पर्दा गिरेगा, विदा होगा वर्तमान वर्ष और आगत वर्ष मंच पर कदम धरेगा. खुशामदीद कह कर कुछ लोग नाचेंगे, कुछ उठायेंगे खुशी का जाम और दुआ करेंगे कि उनकी जिंदगी में रोशनी आए। कुछ नए वादे किए जाएंगे खुद से, लोग एक दूजे को मुबारकबाद देगें। नए का स्वागत हो यह रीत है दुनिया की। आने वाला वक्त खुशहाली का सबब बने, यह सबकी चाहत है. फिजायें महक उठें, हर कोई तरक्की करे. न हो खौफ कोई महामारी का, उसका नाम भी न बचे. जाते हुए उस नामुराद को साथ ले जाए, यही तो सब के दिल की पुकार है। जाते हुए मुसाफिर से यही गुजारिश करते हैं सभी कि सुकून से जी सकें जो जिंदा हैं. जो चले गए, गम उनके अपनों को न सताये। नया साल भी एक दिन बाद ही पुराना हो जाता है और जीवन अपने उसी पुराने क्रम से चलने लगता है। हर साल हम नए वर्ष से कितनी उम्मीदें बांधते हैं, कुछ ख्वाब पूरे होते हैं कुछ खो जाते हैं, फिर हम उन्हें भूल ही जाते हैं। 2020 ने चाहे कितनी ही मायूसी से दो-चार कराया हो आदमी को, पर एक बात अवश्य हुई है कि सभी को जिंदगी की अहमियत का पता चल गया है, किसी भी पल छिन सकती हैं श्वासें, यह अहसास जिंदा रहे हो तो हर पल की कदर की जा सकती है। इसलिए अच्छा तो यही है, न करें कोई वायदे, न लें या दें कोई वचन, बस हर दिन को परमात्मा का एक तोहफा कुबूल करके उसे जितना हो सके सजगता से गुजारें। सत्संग यानि सत्य का संग न छोड़ें, साधना अर्थात योग-प्राणायाम को नियमित करें, सेवा अर्थात किसी न किसी रूप में अपना शक्ति और सामर्थ्य का उपयोग अन्यों के लिए निस्वार्थ भाव से हो और स्वाध्याय यानि स्वयं को पढ़ें, शास्त्र या किसी न किसी श्रेष्ठ साहित्य को नियमित पढ़ें। सेवा, सत्संग, साधना और स्वाध्याय के चार स्तंभों पर टिका जीवन का भवन किसी भी आपदा का सामना अविचलित रहकर कर सकता है।
यही कामना है कि नया साल बीते वर्ष की साया से मुक्त होकर खुशहाली लेकर आये
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो!
स्वागत व आभार !
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
Deleteबहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteनववर्ष की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें अनीता जी
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
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