कोरोना के खिलाफ जो जंग भारत ने लगभग जीत ही ली थी, सकुचाते हुए जिसकी विजय का जश्न भी मनाया था. उसे फिर हार न जाएं ऐसा डर आज हम सभी के मनों में समाया है। ऐसा लग रहा है जैसे हम सोते ही रहे और दुश्मन घर तक आ गया, और देखते ही देखते हर शहर, हर गली मोहल्ले में छा गया. आज सब ओर भय का वातावरण है लेकिन हमें याद रखना होगा, जो भयभीत है वह मन है। जो उस भय को देखता है, वह हम हैं। जब हम कहते हैं मुझे भय लग रहा है, हम मन के साथ एकात्म हो जाते हैं. मन माया है. हम माया से बंध जाते हैं. जो जानता है, वह हम हैं जानने में एक दूरी है। इस दूरी का अनुभव करते हुए हम पुन: जीतेंगे इस दुगने विश्वास से लड़ना है. लॉक डाउन का पालन बड़ी सख्ती से करना है जीवनचर्या में प्राणायाम को शामिल कर प्राणों में नैसर्गिक वायु भरनी है. न कि अस्पतालों में आक्सीजन के लिए लंबी कतारें खड़ी करनी हैं. हम भूल गए कि वायरस अभी जिंदा है, हर मौत जो किसी की कहीं हुई, उसके लिए हर भारतीय शर्मिंदा है। किन्तु हमें इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने देना है। हर नागरिक हर नियम का कड़ाई से पालन करे, इस मुश्किल घड़ी में हमें मिलकर सुरक्षित निकलना है। अगली लहर आए उससे पहले ही मुस्तैदी से तैयार रहना है। स्वच्छता का दामन थाम पौष्टिकता का ध्यान रखना है। वैक्सीन लगवा कर प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना है। सब उपाय करके अब घर-घर से वायरस को विदा करना है।
बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
Deleteबिलकुल सही कहा आपने "सब उपाय करके अब घर-घर से वायरस को विदा करना है।"
ReplyDeleteबस अब एकमात्र उदेश्य यही होना चाहिए ,ज्ञानवर्धक पोस्ट साझा करने के लिए आभार,सादर नमन अनीता जी
स्वागत व आभार !
Deleteसही सलाह । सादर
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