भारतीय संस्कृति अनूठी है, यहाँ जीवन को उसकी समग्रता में सम्मानित करने का भाव है. जीवन के आरम्भ होने से पूर्व ही उसे संस्कार के द्वारा परिष्कृत करने की व्यवस्था है. यदि सही अर्थ के साथ वेद मन्त्रों का पाठ तथा अध्ययन किया जाये तो जीवन को दिशा देने वाले सूत्र उनमें छिपे हैं. हमारी प्रार्थनाएं विश्व कल्याण की कामना लिए हुए हैं. सर्वे भवन्तु सुखिनः.. यदि हम नित्य प्रति अर्थ की प्रतीति करते हुए गाते हैं तो संसार के समस्त जीवों की शुभ भावना से भर जाते हैं. असतो मा सद गमय.. आदि तीन प्रार्थनाएं जीवन को उसके अंतिम लक्ष्य मोक्ष की तरफ ले जाने वाली हैं और त्वमेव माता च पिता त्वमेव.. परमात्मा के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना का भीतर सहज ही संचार करती है, जिससे भीतर अभय का जन्म होता है. या देवी सर्वभूतानां... में देवी को विद्या, निद्रा, क्षुधा, शक्ति आदि जीवन के हर रंग के रूप में देखा गया है. हमारी पाचन अग्नि के रूप में स्वयं कृष्ण भोजन को पचाते हैं तथा वाणी के रूप में वाग देवी कंठ में निवास करती हैं. हमारे मूलाधार में गणेश का वास है. यहां शरीर को देवालय कहा गया है. जिसके नौ द्वार बाहर की ओर खुलते हैं तथा दसवां द्वार भीतर की ओर. जीवन का इतना सम्मान जहाँ हो वहाँ प्रेम, करुणा और उदारता के उदहारण हजारों के रूप में मिलते हैं इसमें आश्चर्य कैसा ?
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२८-०८-२०२१) को
'तुम दुर्वा की मुलायम सी उम्मीद लिख देना'(चर्चा अंक-४१७०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत बहुत आभार अनीता जी!
Deleteअपनी संस्कृति का सम्मान कर उसमें निहित गुणों को आत्मसात करके ही मनुष्यता अर्थ समझा जा सकता है।
ReplyDeleteसारगर्भित लेख।
सस्नेह
सादर।
स्वागत व आभार श्वेता जी!
Deleteहमारी संस्कृति का सार जग कल्याण है
ReplyDeleteबहुत ही सारगर्भित एवं चिंतनपरक लेख।
सही कहा है आपने, आभार!
Deleteचीजों को समझ कर करो तो उनका आशय पता चलता है लेकिन दिक्कत ये है कि लोग अब इन्हें केवल करने के लिए करते हैं.. आशय जाने बिना मंत्रों का जाप करते हैं और इसलिए वह मंत्र तो पढ़ते हैं लेकिन आम जीवन में ऐसे कार्य करते हैं जो मंत्रों से ठीक उलट होते हैं... सुंदर लिखा है आपने...
ReplyDeleteमंत्र पढ़ने का फिर उन्हें उतना ही फल मिलता होगा, भाव शुद्धि हुए बिना तात्पर्य को जाने बिना पढ़ना तो श्रम को व्यर्थ करना ही है, आभार!
Deleteबहुत अच्छा लिखा है आपने...
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