Sunday, August 1, 2021

शिव-शक्ति से भरा जगत यह


शिव और शक्ति जगत के माता-पिता हैं, शिव अर्थात शुद्ध चैतन्य और शक्ति,  उसमें निहित अनंत शक्तियाँ। सृष्टि में जो भिन्न-भिन्न प्रकार के पदार्थ हमें दिखाई पड़ते हैं, वे शिव की संकल्प शक्ति से ही जन्मे हैं। हमारे भीतर भी शिव तत्व है जिसका अनुभव ध्यान में किया जा सकता है, क्रिया शक्ति, ज्ञान शक्ति और इच्छा शक्ति जिसमें निहित हैं। जब ये तीनों शक्तियाँ एक होकर शांत हो जाती हैं तब केवल चैतन्य ही शेष रहता है। श्वास का लेना यदि शक्ति का कार्य है तो श्वास छोड़ने के बाद की विश्रांति शिव का अनुभव है। दिन में हम कार्य करते हैं जिसमें हर तरह की शक्ति की आवश्यकता होती है, पर रात्रि में विश्राम के लिए सब कुछ छोड़ देना होता है, इसलिए रात्रि को शिव रात्रि कहा जाता है। ध्यान में भी कुछ करना नहीं है केवल विश्राम करना होता  है, तभी शुद्ध चेतना का अनुभव किया जा सकता है। इसी तरह कर्ता भाव से मुक्त होकर ही हम स्वयं में विश्राम पा सकते हैं।

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