जीवन हमारे सम्मुख नित नई चुनौतियाँ लाता है, मन की समता बनाये रखते हुए हमें उनका सामना करना है. ज्ञान के छोटे-छोटे सूत्रों को किसी भी चुनौती के आने पर उपयोग में लाते ही वह अपना हो जाता है और मन की समता बनी रहती है. जीवन को यदि हम एक विशाल दृष्टिकोण से देखते हैं तो सत्य के निकट होते हैं. यह सृष्टि अनंत काल से चली आ रही है, हमारा जीवन काल उसकी तुलना में नगण्य है, यह स्मरण रखें तो अहंकार को बचने के लिए कोई स्थान नहीं रह जाता. एक ही ऊर्जा से यह सारा जगत बना है यह स्मरण हमें सबके साथ जोड़ देता है. हमारा मन परमात्मा के विशाल मन का ही एक भाग है यह स्मरण रखें तो हम भय से मुक्त हो जाते हैं. सुख-दुःख उसी तरह आते और जाते हैं जैसे मौसम बदलते हैं, इसलिए न तो सुख मिलने पर हमें अति प्रसन्न होना है और न ही दुःख आने पर व्यथित होना है. स्वयं का ज्ञान ही समय पर हमारी रक्षा करता है, इसलिए शास्त्रों का अध्ययन और गुरू से आत्मज्ञान का श्रवण आवश्यक है. जिस ज्ञान को हमने अपना नहीं बनाया वह मस्तिष्क पर बोझ ही है.
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