Friday, July 29, 2022

जीवन कैसे सरल बनेगा

हम सब यह जानते हैं कि संकल्पों से सृष्टि का निर्माण होता है। हर किसी के ज्ञान के अनुसार संकल्प उसके मन में उठते हैं।कभी-कभी हम विपरीत संकल्प भी उठा लेते हैं, कई बार अपने ही संकल्प को काट देते हैं। अहंकार वश अपने लिए हानिकारक संकल्प भी उठा लेते हैं क्यों कि मन पर हमारा वश नहीं है। सागर में निरंतर उठती लहरों की तरह वे उठते ही रहते हैं। अनजाने में हम अस्तित्त्व से विपरीत धारा में बहने लगते हैं और वहीं संघर्ष है, द्वंद्व है।सत्य क्या है हम नहीं जानते,  कल्पनाओं से अपने-अपने भगवान भी लोगों  ने गढ़ लिए हैं और उसी के नाम पर एक-दूसरे से लड़ते हैं। समर्पण, उत्साह व आनंद किसी भी भाव में हम रहें, सबमें सजगता आवश्यक है। सजग होकर ही हम सही संकल्प का चुनाव अपने लिए कर सकते हैं। होश में जीना ही आत्मा में  होना है, वही स्थितप्रज्ञता है। होश में होना ही अपने आप में होना है,  बिना किसी पूर्वाग्रह के अपने भीतर संकल्प को उठते हुए देखना यदि आ जाए तो जीवन बहुत सरल और निर्दोष बन जाता है। 


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