शरणागति का अर्थ है जीवन में आने वाली हर परिस्थिति को समता से स्वीकार करने की क्षमता को विकसित करना। अक्सर हम सोचते हैं कोई ईश्वर की शरण में है तो अब उसके जीवन में कोई विकट परिस्थिति आएगी ही नहीं। जीवन विपरीत से बना है, यहाँ दो साथ-साथ चलते हैं। जो आज स्वस्थ है, वही कल रोगी हो सकता है। जो आज धनी है, वह कल धनहीन भी हो सकता है। परमात्मा की शरण का अर्थ है कोई इन दो के पार जाकर रहना सीख गया है, वह हर स्थिति को साक्षी भाव से स्वीकार कर सकता है। बाहर कुछ भी घटता हो गहराई में उसका मन समता में रहना सीख गया है। ऐसे मन में यह विश्वास सदा बना रहता है कि ईश्वर सदा उसके साथ है और सब जानता है।
ईश्वर पर भरोसा कर लिया तो परिस्थितियां प्रतिकूल भी हो तो भी उसका सामना सहजता से किया जा सकता है। बहुत ही सुन्दर विचार,नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं अनीता जी 🙏
ReplyDeleteस्वागत व आभार कामिनी जी, आपको भी आने वाले वर्ष के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ!
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