Tuesday, December 20, 2022

जीवन एक अनंत यात्रा

यदि जीवन में यम और नियम का पालन होता हो अर्थात सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह तथा ब्रह्म में विचरण करने की भावना मन में सदा जागृत रहती हो तथा तप, संतोष, शौच, स्वाध्याय व ईश्वर प्रणिधान में रुचि हो, तब हम योग के अनुशासन का पालन करने के योग्य होते हैं। अन्नमय कोश की साधना योगासन है। प्राणमय कोश की साधना प्राणायाम है। धारणा मनोमय कोश की व ध्यान विज्ञानमय कोश में हमें स्थित कर देता है। समाधि का अर्थ है साधक आनन्दमय कोश में स्थित है। समाधि से लौटा हुआ मन केंद्रित होता है, वह जगत के माया जाल में  व्यर्थ नहीं उलझता। वह अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पित रहता है। जीवन में अनुशासन से जो यात्रा आरम्भ होती है वह जगत के साथ एकत्व पर फलित होती है। यह यात्रा कभी पूर्णता को प्राप्त नहीं होती क्योंकि परमात्मा अनंत है। 


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