Friday, January 11, 2019

एक तू जो मिला


१२ जनवरी २०१९ 
शायर कहता है, ‘जिधर देखता हूँ उधर तू ही तू है’. आखिर उसके पास कौन सी आँख है, जिसके द्वारा उसे एक वही नजर आता है. संत और शास्त्र भी कहते हैं, ‘एकै साधे सब सधे..’ उस एक को ही पाना है, एक को ही जानना है. उस एक का रास्ता अपने भीतर से होकर जाता है, पर हम हैं कि दुनियाभर की खबर रखना चाहते हैं. ट्रम्प ने क्या कहा, मोदी के भाषण पर कितनी तालियाँ बजीं, किसे कितने लाइक मिले और कौन यूरोप घूमने गया. इतना सब कुछ करते हुए क्या हम अपने से बेखबर नहीं हैं. किसी किसी को तो एक घंटा यदि अकेले रहना पड़ जाये तो बोर हो जाता है, यानि अपना साथ ही हमें नहीं भाता. क्यों न नये वर्ष में खुद को मित्र बनाएं, दैहिक, मानसिक, सामाजिक या अध्यात्मिक कोई भी समस्या हो तो स्वयं को ठीक उसी प्रकार समझाएं जैसे किसी मित्र को समझाते आये हैं. अन्यों की हर समस्या का हल हमारे पास सदा ही तैयार रहता है. स्वयं को देह, मन, बुद्द्धि से अलग करके कभी देखा ही नहीं सो अपनी समस्या के हल के लिए अन्यों का सहारा लेते हैं. एक बार मन को समझने-समझाने वाला भीतर मिल गया, तो वह भी गायेगा, जिधर देखता हूँ उधर तू ही तू है !   

2 comments:

  1. आज तो तुमने बिलकुल सीधी ,सच्ची बात लिख दी है ,एक बार मन को समझने ,समझाने वाला भीतर मिल गया तो वो भी गायेगा,जिधर ............तू ही तू है।

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  2. स्वागत व आभार दीदी !

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