Saturday, October 24, 2020

नवरात्रि का मर्म जो जाने

 नवरात्रि उत्सव के प्रथम तीन दिन मां दुर्गा को, मध्य के तीन दिवस माँ लक्ष्मी को तथा अंतिम तीन दिवस सरस्वती मां को समर्पित हैं. साधक को पहले शक्ति की आराधना द्वारा तन, मन व आत्मा में बल का संचय करना है, इसके लिए ही योग साधना व प्राणायाम द्वारा चक्र भेदन किया जाता है जिससे शक्ति प्राप्त हो. इसके बाद उस शक्ति के द्वारा भौतिक संपदा के साथ-साथ मानसिक षट संपत्ति की प्राप्ति होती है. इस शक्ति का सदुपयोग हो सके इसके लिए ज्ञान की आवश्यकता है. शक्ति यदि अज्ञानी के हाथ में पड़ जाये तो लाभ की जगह हानि का कारण ही बनेगी. इसीलिए वाग्देवी की आराधना होती है अर्थात ज्ञान की प्राप्ति के लिए अध्ययन, मनन व चिंतन किया जाता है. भारत की अद्भुत संस्कृति में हर उत्सव हमें उस परम की ओर ले जाने का एक साधन है. हर कोई अपनी क्षमता और योग्यता के अनुसार इन उत्सवों से प्राप्त सन्देश को अपनाकर अपने जीवन को आगे ले जा सकता है.

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