अप्रैल २००५
दीवानगीये इश्क के बाद
आखिर आ ही गया होश
और होश भी ऐसा होश कि
दीवाना बना दे !
दीवाने से कभी मत पूछो
कि क्या लोगे
अगर बोल बैठा तो क्या
दोगे ?
मांगो.. मांगो.. मांगो
तो सही मांगो
और सही का मतलब वही
मांगो
कभी कुछ, कभी कुछ
इससे तो बेहतर है नहीं
मांगो !
देना न भूलो, देकर भूलो
!
जब द्रौपदी का चीर-हरण हुआ और वह विलख-कर कृष्ण को पुकारी तब कृष्ण ने द्रौपदी से पूछा-" क्या कभी तुमने किसी को कुछ दान किया है ? " द्रौपदी ने कहा-" हॉ नदी में नहाते समय एक साधू का कौपीन पानी में बह गया था, तब मैनें अपनी साडी फाड-कर, उनकी ओर बहा दी थी ।" कृष्ण ने कहा- " ठीक है द्रौपदी ! अब मैं तुम्हें दूँगा ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर कथा..
Deleteसशक्त भावाभिव्यक्ति। बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteदीवानगी में हद से गुज़र जाना चाहिए
ReplyDeleteदीवानगी में हद से गुज़र जाना चाहिए ,
जो अपने नहीं उन्हें एक बहाना चाहिए।
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि कि चर्चा कल मंगलवार २६/११/१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर कि जायेगी आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है।मेरे ब्लॉग पर भी आयें ---http://hindikavitayenaapkevichaar.blogspot.in/पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी(गीत
ReplyDeleteआभार राजेश जी
Deleteबहुत सुन्दर कहा !
ReplyDeleteनवम्बर 18 से नागपुर प्रवास में था , अत: ब्लॉग पर पहुँच नहीं पाया ! कोशिश करूँगा अब अधिक से अधिक ब्लॉग पर पहुंचूं और काव्य-सुधा का पान करूँ |
नई पोस्ट तुम
ReplyDeleteदेना न भूलो, देकर भूलो !
SATY AUR WED WAAKY
वीरू भाई, रमाकांत जी, कालीपद जी आप सभी का स्वागत व आभार !
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