६ अक्तूबर २०१७
कबीर कहते हैं, हरि का घर खाला
का घर नहीं है, उनका अर्थ यह नहीं है कि उसके घर जाना कठिन है बल्कि यह कि वह तो
अपना ही घर है, खाला के घर भी जाना हो तो कुछ देर लगेगी. पर यहाँ तो अपने ही घर
में बैठे हैं, बस नेत्र बंद हैं. सपना देख रहे हैं कि संसार में हैं. जीवन एक
संघर्ष है ऐसा मान लिया है तो संघर्ष की तैयारी में लगे हैं. संत कहते हैं सत्य के
प्रति जागना ही उससे मिलन का एक मात्र उपाय है
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