Friday, November 10, 2017

एक लक्ष्य जिसने भी साधा

१० नवम्बर २०१७ 
लक्ष्य यदि स्पष्ट हो और सार्थक हो तो जीवन यात्रा सुगम हो जाती है, योग के साधक के लिए मन की समता प्राप्त करना सबसे बड़ा लक्ष्य हो सकता है और भक्त के लिए परमात्मा के साथ अभिन्नता अनुभव करना. कर्मयोगी अपने कर्मों से समाज को उन्नत व सुखी देना चाहता है. मन की समता बनी रहे तो भीर का आनंद सहज ही प्रकट होता है. परमात्मा तो सुख का सागर है ही, और निष्काम कर्मों के द्वारा कर्मयोगी कर्मों के बंधन से मुक्त हो जाता है, जिससे सुख का अनुभव होता है, अर्थात तीनों का अंतिम लक्ष्य तो एक ही है, वह है आनंद और शांति की प्राप्ति. सांसारिक व्यक्ति भी हर प्रयत्न सुख के लिए ही करते हैं, किन्तु दुःख से मुक्त नहीं हो पाते क्योंकि उन्होंने अपने सम्मुख कोई बड़ा लक्ष्य नहीं रखा. 

1 comment:

  1. बहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !

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