सेवा के रूप में किए गए कृत्य हमें वर्तमान में बनाए रखते हैं क्योंकि हमें उनसे भविष्य में कुछ भी पाने की चाह नहीं होती। जब हम जीवन को साक्षी भाव से देखते हैं तो चीजें स्पष्ट दिखायी देती हैं। जितना हम सामान्य बातों से ऊपर उठ जाते हैं तो वे बातें जो पहले बड़ी लगती थीं, अपना महत्व खो देती हैं। हमें यह जीवन उपहार स्वरूप दिया गया है, मन में इसके लिए अस्तित्त्व के प्रति कृतज्ञता जगे तो कभी किसी अभाव का अनुभव नहीं होता। नियमित साधना, सेवा तथा जाप करने से मन तृप्त रहता है। जितना-जितना हम साधना के लिये समर्पित होंगे, आंतरिक ऊर्जा बढ़ती रहेगी और सहज उत्साह बना रहेगा। ऐसी स्थिति में हमारा हर कार्य भीतर के आनंद की अभिव्यक्ति के लिए होगा न कि भविष्य में आनंद पाने की लालसा में किया गया होगा। इसके लिए समय का उचित प्रबंधन और हर क्षेत्र में संयमित रहना है। संबंधों में मधुरता तभी बनी राह सकती है जब वे प्रेम बाँटने के लिए बने हों न कि प्रेम की माँग करने के लिए।
पॉजिटिबिटी बढ़ाता अच्छा चिंतन !!!!👍👍
ReplyDeleteउत्तम विचार , साधु !
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