जनवरी २००८
परम ऊर्जा के साथ एक होने
की कला सिखाने के लिए तीन मददगार हैं, परमात्मा, गुरू तथा शास्त्र ! परमात्मा की
कृपा तो सब पर है उसने मानव देह प्रदान की है. अन्नमय, प्राणमय तथा मनोमय कोष तो
पशु के भी जाग्रत हैं पर विज्ञान मय व आनन्दमय कोष केवल मानव को ही प्राप्त हैं.
सद्गुरु के पास जब हम जाते हैं तो वह इन सारे कोशों को जाग्रत करना ही नहीं सिखाता
इनके पार ले जाने की कला भी सिखाता है, जहाँ मुक्ति का द्वार खुल जाता है. विज्ञान
को नमन कि उसने ज्ञान को कितना सुलभ बना दिया है, गुरू के द्वार यदि कोई नहीं जा सकता तो टीवी आदि के माध्यम से गुरू ही घर आकर
ज्ञान की मोती लुटाते हैं. ऐसा ज्ञान जो नित नवीन है, हमें सरस सहज बनाता है,
एकरसता को तोड़ता है.
देह से ही सब कुछ सम्भव है ।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
स्वागत व आभार शकुंतला जी !
ReplyDeleteस्वागत व आभार शकुंतला जी !
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