Thursday, November 15, 2018

एकै साधै सब सधे


१६ नवम्बर २०१८ 
एक ही चेतना से यह सारा संसार बना है, यह बात हमने सुनी है, पढ़ी है पर जब तक स्वयं इसका अनुभव न कर लें तब तक हमारे जीवन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता. संत कहते हैं, यदि कोई आस्तिक है तो उसे चेतना के अस्तित्त्व के बारे में विश्वास होता है, यह पहला कदम है. जब साधना के द्वारा वह अपने भीतर इस सत्य का अनुभव करता है, सारे जगत के प्रति एकत्व का भाव उसके भीतर जगता है. जीवन में एक परिवर्तन सहज ही घटने लगता है. मन की चाल ही बदल जाती है, जो पहले सदा अपने हित की बात सोचता था अब अन्यों की सुख-सुविधा का ध्यान उसे पहले आता है. जगत प्रतिद्वन्द्वी न रहकर मित्र बन जाता है. धरती, आकाश, सूर्य, चन्द्र, वनस्पति जगत, जीव-जन्तु सभी का आधार एक ही है, यह जानकर मन फूल के जैसे हल्का हो जाता है. बुद्धि अब लाभ-हानि की भाषा में नहीं सोचती, वह स्वयं को चेतन का अंश मानकर पावनी होने का प्रयास करती है. लघु अहंकार विगलित हो जाता है और शुद्ध अहं स्वयं का अनुभव करता है.

2 comments:

  1. आपदाम्-अपहर्तारम् दातारं सर्व संपदां।
    लोकाभिरामं श्रीरामम्  भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥

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  2. स्वागत व आभार अशोक जी !

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