Tuesday, November 3, 2020

उस अज्ञेय से प्रेम करे जो

 

जीवन बहुआयामी है। यहाँ हर किसी को अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार आगे बढ़ने का सुअवसर है। ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। एक छोटे से कण का पूरा ज्ञान भी आजतक कोई नहीं जान पाया। अंतरिक्ष की कौन कहे अभी भी धरती पर ऐसे कई स्थान हैं जहाँ मानव नहीं पहुंचा है। कुछ ऐसा है जो हमने जान लिया है, कुछ ऐसा है जो आज नहीं कल हम जान लेंगे पर कुछ ऐसा तब भी बच जाएगा जिसे हम कभी भी जान नहीं पाएंगे। वह अज्ञेय ही सारे रहस्यों का कारण है और उस आनंद का स्रोत भी वही  है जिसके कारण हर सुबह पंछी चहचहाते हैं, खरगोश दौड़ते-भागते हैं, फूल खिलते हैं, बच्चे मुसकुराते हैं और जिन्हें देखकर माँ के हृदय में वात्सल्य भरे प्रेम का अनुभव होता है। जहाँ से सारा शुभ जन्मता है और यदि अशुभ न हो तो शुभ का महत्व ही क्या रह जाएगा, अशुभ भी वहीं से उपजता है, जैसे माँ की फटकार में भी प्रेम छुपा है; पर वह दोनों से परे स्वयं में स्थित है। सारी ऊर्जा का स्रोत भी वही है।

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