Wednesday, May 5, 2021

श्वासों को जो साध सकेगा

 आज के वातावरण में जब चारों तरफ भय और आशंका का वातावरण है , मन को शांत रखना अति आवश्यक है. जब हमारा मन शांत और सहज होगा, तो हम अपने व परिवार के लिए सही निर्णय लेने की स्थिति में होंगे।  श्वास  लेने की विधि और ध्यान के अभ्यास ऐसी परिस्थितियों में मन को डूबने से बचाने के लिए अति आवश्यक हैं। ध्यान में हम वर्तमान में रहना सीखते हैं, यह हमें भविष्य की आशंका से मुक्त करता है। यह हमें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना सिखाता है. मन में स्थिरता के लिए, हमें अपनी जीवनी-शक्ति या जीवन ऊर्जा के मूल सिद्धांतों को जानना चाहिए। यही प्राणायाम का पूरा विज्ञान है। जब हमारे प्राण या जीवनी शक्ति में उतार-चढ़ाव होता रहता है, तो हमारा मन भी भावनाओं के प्रवाह में ऊपर-नीचे होता रहता है। श्वास की लय को समझने से हमें मन में स्थिरता बनाए रखने में भी मदद मिलती है। हमारी श्वास में एक बहुत बड़ा रहस्य छुपा है। मन की हर भावना के अनुरूप  श्वास में एक समान लय होती है, और प्रत्येक लय शरीर के कुछ भागों को शारीरिक रूप से प्रभावित करती है। जब हम आनंदित होते हैं तो हम विस्तार की भावना महसूस करते हैं और दुखी होने पर संकुचन की भावना। जरूरत पड़ने पर हमें दृढ़ता दिखाने में सक्षम होना चाहिए और साथ ही क्षमा करना भी आना चाहिए। यह क्षमता सभी के भीतर मौजूद है, और इन अवस्थाओं में सहज रूप से प्रवेश करने व बाहर आने के लिए आवश्यक कौशल को ध्यान उजागर करता है।ध्यान से हमारे भीतर ब्रह्मांडीय चेतना का उदय होता है । जब हम खुद को जगत के अंश के रूप में देखते हैं, तो जगत और हमारे मध्य प्रेम दृढ़ता से बहता है। यह प्रेम हमें विरोधी ताकतों और हमारे जीवन की परेशानियों को सहन करने की शक्ति प्रदान करता है। क्रोध, चिंता और निराशा क्षणिक व विलीन हो जाने वाली क्षणभंगुर भावनाएँ बन जाती हैं. 


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