Tuesday, November 9, 2021

जीवन का जो मान करे

जीवन हमें उपहार रूप में मिला है। मन, बुद्धि व संस्कार के रूप में अथवा इच्छा, ज्ञान और कर्म  के रूप में हमारे भीतर अस्तित्त्व ने तीन शक्तियाँ प्रदान की हैं। पंच इंद्रियों के माध्यम से हम इस जगत का एक सीमित रूप ही अनुभव कर पाते हैं, जो स्थूल है, किंतु स्वप्न में हम सूक्ष्म जगत की झलक भी पाते हैं। इन दोनों के पार है कारण जगत जो गहरी नींद में जाने पर आत्मा को अनुभव में आता है किंतु मन या बुद्धि को उसकी कोई खबर नहीं मिलती। आत्मा उसके भी पार है जिसका अनुभव केवल ध्यान में किया जा सकता है। संत और शास्त्र इसलिए ध्यान का इतना महत्व बताते हैं। उस अवस्था में हम मन और बुद्धि को अपने अनुकूल व्यवहार करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं अन्यथा वे राग-द्वेष के चलाए चलते हैं और अक्सर अपनी ही हानि कर बैठते हैं। मन में उठने वाला तनाव, चिंता, उदासी अथवा कोई भी नकारात्मक भाव इसी कारण से होता है, जिसका प्रभाव शरीर पर भी पड़ता है। 


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