Tuesday, June 4, 2013

सांचा तेरा नाम

इस ब्रह्मांड में सबसे पवित्र वस्तु है परमात्मा, सभी पदार्थ जूठे हो चुके हैं, पर ब्रह्म अभी तक अछूता है, उसे कोई जान ही नहीं पाया है, वह अगम है, सत्य, शिव और सुंदर है. यदि हमें उसे अपने अंतःकरण में अवतरित करना है तो उसे सुपात्र बनाना होगा. मन जिसका संग करेगा उसी का रंग उस पर चढ़ेगा. जब हम असजग होते हैं तो ही कोई न कोई विकार रूपी पशु आकर हमारे मन की वाटिका को तहस-नहस कर डालता है. निरंतर सजगता ही मन को सुपात्र बनाती है. जिसमें उसकी छवि झलकती है.

3 comments:

  1. निरंतर सजगता ही मन को सुपात्र बनाती है. जिसमें उसकी छवि झलकती है.

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  2. राहुल जी, व अनुपमा जी स्वागत व आभार !

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