Thursday, January 23, 2014

दिल से जब उठती है प्रार्थना

जून २००५ 
न्त जन कहते हैं, शरीर कुछ कहे, मन कुछ कहे तो मन की मानें,  मन कुछ कहे, बुद्धि कुछ कहे तो बुद्धि की मानें. लोग कुछ कहें और हृदय कुछ कहे तो हृदय की मानें. यदि जीवन में कोई समस्या आ जाये तो ईश्वर से पुकार करें प्रार्थना करें, एक बार नहीं बार-बार प्रार्थना करें. पुकार करते-करते एक बार फिर शांत हो जाएँ और अपने आप ही वह प्रार्थना उस तक पहुंच जाती है. वह हमारी बात को कब तक अनसुना कर सकता है. एहिक अथवा पारमार्थिक सामर्थ्य या सफलता पाने के लिए ईश्वर का स्मरण, चिन्तन तथा स्वयं को उसके आश्रित जानकर छोड़ देना ही प्रार्थना है. हमारा सूक्ष्म शरीर मृत्यु के बाद भी रहता है, प्रार्थना पूर्ण हृदय को मृत्यु के क्षण में अनोखी शांति का अनुभव होता है. प्रार्थना करना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, वही हमारा मार्ग दर्शक है, उसकी शरण में जाना ही भक्त का प्रिय कार्य है. 

5 comments:

  1. प्रार्थना में अपार शक्ति है।

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  2. एहिक अथवा पारमार्थिक सामर्थ्य या सफलता पाने के लिए ईश्वर का स्मरण, चिन्तन तथा स्वयं को उसके आश्रित जानकर छोड़ देना ही प्रार्थना है

    जीवन का मर्म समझती पोस्ट

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  3. हमारा सूक्ष्म शरीर मृत्यु के बाद भी रहता है, प्रार्थना पूर्ण हृदय को मृत्यु के क्षण में अनोखी शांति का अनुभव होता है. प्रार्थना करना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, वही हमारा मार्ग दर्शक है, उसकी शरण में जाना ही भक्त का प्रिय कार्य है....

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  4. बहुत सच..प्रार्थना ही कष्टों से मुक्ति का एक मात्र कारण है...

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  5. देवेन्द्र जी, रमाकांत जी, राहुल जी, ललित ही व कैलाश जी आप सभी का स्वागत व आभार !

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