Friday, April 10, 2015

वह कौन चित्रकार है..

दिसम्बर २००८ 
अनादि काल से मानव इस सृष्टि के रहस्यों को जानने का प्रयत्न करता आया है, लेकिन कोई भी आज तक इसे जानने का दावा नहीं कर पाया है. यह रहस्य उतना गहरा होता जाता है जितना हम इसके निकट जाते हैं. हम कुछ भी नहीं जानते यह भाव दृढ़ होता जाता है. यह सृष्टि क्यों बनी, कैसे बनी आज तक कोई इनके उत्तर नहीं दे पाया. परमात्मा को जिसने भी पाया है अपने भीतर ही पाया है, वह मन की गहराई में छिपा है. जब शरीर स्थिर हो, मन अडोल हो, शांत हो, भीतर कोई द्वंद्व न हो तो जिस शांति व आनंद का अनुभव भीतर होता है वह परमात्मा से ही आयी है. 

4 comments:

  1. सटीक चिंतन...ईश्वर की तलाश तो अपने अन्दर ही की जा सकती है

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  2. गहन, गंभीर, विचारणीय।

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  3. अंत से अनंत की ओर!

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  4. कैलाश जी, अंकुर जी, व अनुराग जी, स्वागत व आभार !

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