दिसम्बर २००८
यदि ध्यान
से देखें तो पता चलेगा कि किसी क्षण में हम जहाँ होते हैं वहाँ नहीं होते, बल्कि हमारा
कोई पता-ठिकाना ही नहीं ! हम जीवन को खोज रहे हैं और जीवन हमें खोज रहा है. जीवन हर
तरफ से हमें घेरे हुए है. हम कहते हैं कि भविष्य सुंदर होगा, पर वह भविष्य कभी आता ही नहीं. जो आता है, वह अभी है, वह आज है !
हम कभी वर्तमान में नहीं होते, इस क्षण में जो जागृत है, वही जागृत है. कृत्य का
गुण भीतर से आता है, जो कृत्य मूर्छा में किया गया है वह बांधता है. जागृत कृत्य
ही पुण्य है.
भविष्य के पीछे भागते हुए, खो देते हैं हम वर्तमान को..बहुत सटीक चिंतन..
ReplyDeleteस्वागत व आभार कैलाश जी...
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