Saturday, May 2, 2015

खुद से जो पहचान बना ले

जनवरी २००९ 
सारे पापों का जोड़ अहंकार है और सारे पुण्यों का जोड़ आनंद है ! दुःख के कारण ही हम हैं और सुख के कारण ही परमात्मा है. दुःख की घड़ी में दो हैं, दुःख व दुःख भोगने वाला, लेकिन आनंद में केवल आनंद होता है, नहीं बचता है कोई आनंद भोगने वाला. हमारे गहरे से गहरे होने का नाम ही परमात्मा है ! अपने होने को जब हमने साध लिया तो मानो परमात्मा ही हमसे झलकने लगता है ! आनंद की कुंजी उसके हाथ लगती है जो अपने को सुखी करने की ठान लेता है. 

1 comment:

  1. आपने आनन्द को बहुत ही सुन्दर रीति से परिभाषित किया है ।

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