२९ जनवरी २०१८
संसार कार्य है, परमात्मा कारण है. संसार व्यक्त है, परमात्मा
अव्यक्त है. जन्म से पहले हम भी अव्यक्त थे, मृत्यु के बाद फिर अव्यक्त हो
जायेंगे. परमात्मा अव्यक्त होते हुए भी सदा विद्यमान है, वही संसार रूप में व्यक्त हुआ है. इसी तरह
हम भी व्यक्त व अव्यक्त दोनों एक साथ हैं. जैसे बीज में वृक्ष छिपा है और वृक्ष
में बीज. जो व्यक्त रहते हुए स्वयं के अव्यक्त रूप से परिचित हो जाता है, उसे
मृत्यु का भय नहीं रहता.
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