Friday, January 19, 2018

स्वयं में होगा मिलन परम से

२० जनवरी २०१८ 
परमात्मा की कृपा को अनुभव करेगा कौन ? देह जड़ है, मन स्मृति और कल्पना से पूर्ण है. बुद्धि सदा हानि-लाभ की उधेड़बुन में लगी रहती है. चित्त न जाने कितने जन्मों के संस्कारों से भरा हुआ है. अहं चाहता है जैसे संसार मिला है वैसे ही परमात्मा भी मिल जाये. उसे यह ज्ञात ही नहीं जिस शक्ति से वह बना है, जो उसके भीतर ओत-प्रोत है, उसके शांत होते ही स्वयं को देख सकती है. संत कहते हैं, एक ही तत्व से यह सारा जगत बना है. देह, मन, बुद्धि, चित्त तथा अहंकार की गहराई में भी वही छिपा है. उसे जानने के लिए कहीं दूर नहीं जाना है. ध्यानपूर्वक मन आदि को ठहराना है, आत्मा स्वयं ही प्रकट हो जाएगी और परमात्मा का अनुभव उसे ही होगा. बाद में देह, मन आदि पर उसका प्रभाव अवश्य ही देखा जा सकेगा.    

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