१ फरवरी २०१८
जीवन एक प्रसाद है. एक अनोखा
उपहार. जीवन कितना भव्य है और कितना गरिमापूर्ण भी. जीवन का होना मात्र ही अपनेआप
में इतना सुख से भरा है कि जीवन से कुछ मांगने की बात ही बेमानी है. संत सदा से
कहते आये हैं, मानव जन्म अनमोल है, इसका अहसास उसी को होता है जो जीवन के मर्म को
समझ लेता है. देह तो मात्र बाहरी आवरण है, इसको चलाने वाली ऊर्जा जो चेतन भी है और
रसपूर्ण भी है, उसका अनुभव किये बिना जीवन का मोल नहीं लगाया जा सकता. मीरा ने जिस
राम रतन को पाया और बुद्ध ने जिस शून्य को अपने भीतर पाया वह परम सत्य हर मानव पा
सकता है. एक बार उसके लिए भीतर आकांक्षा जगे और परम के प्रति अटूट श्रद्धा हो तो
जीवन का हर पल आनंद से भर जाता है.
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