२ फरवरी २०१८
जीवन द्वंद्वों से बना है. यहाँ जो वस्तुएं, घटनाएँ, गुण तथा मूल्य
एक दूसरे के विपरीत दिखाई पड़ते हैं, वे विपरीत न होकर एक दूसरे के पूरक हैं. दिन के
बिना रात नहीं होती, सुख के साथ दुःख लगा ही है. मित्रता और शत्रुता एक ही सिक्के के
दो पहलू हैं. जो हमारे प्रिय पात्र हैं वे ही कल अप्रिय भी लग सकते हैं. एक का
अस्तित्व दूसरे पर ही टिका है. बीमारी न हो तो स्वास्थ्य की कीमत कौन जानेगा.
अशांति न हो तो शांति की चाह किसे होगी. संत जगत की इस व्यवस्था को जानकर उनसे ऊपर
उठ जाते हैं. जहाँ दो नहीं हैं विश्राम वहीं है.
हर सिक्के के दो पहलू
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
स्वागत व आभार कविता जी !
ReplyDelete