१३ फरवरी २०१८
शिव कल्याणकारी हैं. शिव अनादि व अनंत हैं. शिव और शक्ति दो
नहीं हैं. दिन-रात और सुख-दुःख की तरह शिव और शक्ति सदा साथ हैं. शक्ति जब विश्राम
में होती है तो शिव होती है और शिव जब गतिमान होते हैं तो शक्ति होते हैं. शिव का
विश्राम भी उतना ही प्रभावशाली है जितना उनका गतिमान होना. शिव चैतन्यता की
पराकाष्ठा हैं. जब साधक अपने स्वरूप में स्थिर हो जाता है, शिव में ही होता है.
उसके अशुभ संस्कार नाश को प्राप्त होते हैं और वह नई शक्ति भरकर जगत में कार्य
करने में सक्षम होता है. शिव संहारक हैं, वे क्रोध आदि विकारों का नाश करते हैं
तथा शांत, सृजनात्मक ऊर्जा का पोषण करते हैं. महाशिवरात्रि के पर्व पर हम सभी को आसुरी
शक्तियों का विनाश करके अपने भीतर के देवत्व को जगाना है.
शिव विध्वंस ही नही सृजन पूजन भजन के प्रतीक है
ReplyDeleteस्वागत व आभार राजेन्द्र जी !
Deleteमहाशिवरात्रि की आपको बहुत बहुत शुभकामनाऐं अनीता जी
ReplyDeleteसुस्वागतम अलकनंदा जी, आपको भी महाशिवरात्रि के पर्व पर बहुत बहुत मंगलकामनाएँ..
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