१४ फरवरी २०१८
आज प्रेम दिवस है. प्रेम इस संसार के मूल में है, प्रेम पर यह
सृष्टि टिकी है और प्रेम से ही यह बनी है. ईश्वर प्रेम है और उसने प्रेम के
आदान-प्रदान के लिए ही इतने जीवों का निर्माण किया है. नन्हा सा पौधा हो या छोटा
सा प्राणी..प्रेम की भाषा उन्हें भी आती है. हम मानवों ने तो प्रेम के परम रूप को
चखा है, मीरा और चैतन्य की भक्ति प्रेम की पराकाष्ठा है. भक्ति प्रेम का ही
श्रेष्ठतम रूप है. ऐसा प्रेमी जो अपने प्रियतम से कभी मिला ही नहीं, उसे कभी देखा
भी नहीं पर फिर भी उस पर सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार है, प्रेम की जिस ऊँचाई
पर विराजमान होगा सामान्य जन उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते. वात्सल्य, स्नेह और
राष्ट्र के प्रति प्रेम भी इसी प्रेम की भिन्न अभिव्यक्तियां हैं. जिस हृदय में भी
किसी भी तरह के प्रेम का अंकुर एक बार भी फूटा है, वह एक न एक दिन उस परम प्रेम का
स्वाद अवश्य चखेगा.
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