Wednesday, January 30, 2019

उसके कदमों में झुकना है


३१ जनवरी २०१९ 
जीवन में कोई आदर्श न हो, कोई ऐसा न हो जिसके सामने सिर झुकाया जा सके तो जीवन का मर्म कभी नहीं खुल सकता. जिसके भीतर प्रेम और आदर को स्थान नहीं मिला उसके मन में भक्ति और श्रद्धा कैसे खिल सकती है. हमें अपने बड़ों का आदर करना है ताकि हमारा उद्धार हो, छात्रों को शिक्षकों का सम्मान करना है तभी वे उनके दिए ज्ञान को ग्रहण कर सकेंगे. पुत्र को पिता के पैर छूने हैं ताकि एक दिन उसका सिर भीतर परमात्मा के सम्मुख भी झुक सके. बहू को सासूजी का कहा मानना है ताकि एक दिन उसके भीतर देवी का जागरण हो सके. आधुनिकता के नाम पर आज हम सारी सम्भावनाओं को ही खत्म दिए जा रहे हैं. छोटे-छोटे बच्चे माँ-पिता के सामने जवाब देने लगे हैं, जो मन माता-पिता के सम्मुख नहीं झुकता वह कभी परमात्मा के सामने झुकेगा इसकी कल्पना व्यर्थ है. ऐसा मन यदि भविष्य में तनाव का शिकार होता है तो कोई आश्चर्य नहीं. झुकना हमारे लिए सार्थक है, जिसके सम्मुख हम झुकते हैं उसके लिए नहीं.

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