Sunday, February 3, 2019

स्मृति लब्ध्वा...याद रहे जब पल पल उसकी


४ फरवरी २०१९ 
जो हमें मिला हुआ है पर उस तक जाने का मार्ग हम भूल गये हैं वही हमारा परम लक्ष्य है. जैसे कोई अपनी बहुमूल्य वस्तु कहीं रख दे और भूल जाये. वह वस्तु उसकी ही थी, उसे मिली ही हुई थी पर उसकी स्मृति नहीं रह गयी तो न मिले के बराबर हो गयी, और भीतर एक बेचैनी भी भर जाती है, उसकी तलाश जारी रहती है. इसी तरह आत्मा जो परमात्मा से मिली ही हुई है, जब उसे खो देती है तो एक बेचैनी सी भीतर छायी रहती है. मानव की सारी तलाश उसी अखंड आनन्द को, उसी एकरस सुख को पाने की ही तो है जो उसे अपने इर्द-गिर्द सुख-सुविधा के अम्बार लगाने को प्रेरित करती है. यह अलग बात है कि धन के अम्बार भी उसे वह सुख नहीं दे पाते क्योंकि वह सुख उसे मिला ही हुआ है मात्र उसकी याद ही खो गयी है.

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