५ फरवरी २०१९
जीवन में हम चार
अवस्थाओं में रहते हैं. पहली अवस्था जागृत है, दूसरी स्वप्न, तीसरी सुषुप्ति और
चौथी का कोई नाम नहीं है. जब स्वप्न चलता है तब जागृत का कोई भान नहीं रहता और
सुषुप्ति की अवस्था में न जागृत और न ही स्वप्नावस्था का भान रहता है. जागृत के
सुख-दुःख स्वप्न तक अपना असर दिखाते हैं पर सुषुप्ति में उनका कोई जोर नहीं चलता. आत्मा
तब अक्रिय होती है पर उसमें शक्ति छिपी रहती है. चौथी अवस्था में हम न सोये हैं, न
जगे हैं, न स्वप्न देख रहे हैं. निर्विकल्प समाधि के पार की वह अवस्था है. जागृत व
स्वप्न सबकी अलग-अलग है, शेष दोनों हरेक के लिए एक सी हैं. हमारा नियन्त्रण केवल
जागृत पर है. साधना का लक्ष्य है इन चारों अवस्थाओं के साक्षी हो जाना, अर्थात
स्वयं को पूर्ण रूप से जान लेना.
मनोविज्ञान का विश्लेसन करता सुन्दर लेख |
ReplyDeleteहर अवस्था गहराई से उल्लेख आदरणीया
सादर
स्वागत व आभार सखी !
Deleteमनोविज्ञान का विश्लेसन
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