२१ फरवरी २०१९
ब्रह्मांड से एकत्व की
अनुभूति साधक का लक्ष्य है और स्वयं से एकत्व पहला कदम है. स्वयं से जुड़े बिना यह
सम्भव ही नहीं हो सकता कि हम जगत से जुड़ा हुआ महसूस करें. आज समाज में जो बिखराव
और संबंधों में दूरियां नजर आ रही हैं इसका कारण है मानव खुद से ही दूर होता जा
रहा है. प्रदर्शन और विज्ञापन के इस युग में हर कोई कृत्रिमता को अपना रहा है.
सत्य और समर्पण जैसे मूल्य उसके जीवन से विस्थापित हो गये हैं. जो लोग एक स्थान पर
टिके रहकर काम नहीं कर सकते, संस्था और व्यक्तियों के प्रति उनके मन में लगाव या
निष्ठा ही जन्म नहीं ले पाती. परिवर्तन तो संसार का नियम ही है, लेकिन लोग हर कहीं
इतनी शीघ्रता से बदलाव कर रहे हैं कि स्वयं के भीतर जाकर अपने उस मूल स्वभाव को
जान ही नहीं पाते जो सदा एक सा है. ध्यान और योग के द्वारा हमें पहला कदम उठाना है
और शेष प्रकृति व उसके नियंता के हाथों में छोड़ देना है. इस मार्ग पर चलना आरम्भ
करते ही मंजिल से खबर आने ही लगती है.
बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट
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