Tuesday, October 14, 2014

समाधान मिलता है भीतर

मार्च २००७ 
जो हमारा आज का विचार है, वही भविष्य की क्रिया है. विश्व क्रांति से अधिक हमें वैचारिक क्रांति की आवश्यकता है. वैचारिक परिवर्तन हमें अंतर्मुख होना सिखाता है, जिससे हम भीतर से मार्गदर्शन पाने लगते हैं. ध्यान से भीतर जो शक्ति उत्पन्न होती है वह स्वतः ही शुभता में ले जाती है. लोकसंग्रह के लिए तब कोई प्रयास नहीं करना पड़ता. ऊपरी सुन्दरता के दायरे से निकल कर जो विचार की सुन्दरता में प्रवेश करता है वह मानो अपने भाग्य का निर्माता बन जाता है. वह स्वमान में रहने लगता है और दूसरों का सम्मान करना सीखता है. स्वमान का अर्थ है अपने भीतर छिपे आत्मा के अमूल्य गुणों पर भरोसा. पवित्रता, प्रेम, सरलता, करुणा तथा सत्यता हमारे भीतर ही हैं, इसका प्रत्यक्ष अनुभव होने पर ही यह भरोसा उत्पन्न होता है.

1 comment:

  1. परम्परा की तुलना में विवेक को महत्व देना चाहिए ।
    सुन्दर चिन्तन । बधाई ।

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