Tuesday, March 24, 2020

घर में रहना जो सीखेगा

कोरोना वायरस जीवित नहीं है, इसलिए इसे मारा भी नहीं जा सकता. उसकी यही रणनीति उसे अजेय बना रही है कि आज सारा विश्व उससे भयभीत है. योग वशिष्ठ में एक दैत्य की कथा आती है जो मारा नहीं जा सकता था क्योंकि उसमें अपने होने का अहसास ही नहीं था, वह एक रोबोट की तरह अपने मालिक की आज्ञा का पालन मात्र कर रहा था. देवताओं को जब उसे मारने में असफलता ही मिल रही थी, तो उन्हें सुझाया गया, उस दैत्य में अहंकार पैदा करो, तभी वह मरेगा. कोविड -19 को जिन्दा करना हो तो उसे मानव देह में ही किया जा सकता है, लेकिन जैसे ही यह एक मानव के भीतर प्रवेश करता है, उसकी कोशिकाओं को खुद के लाखों और संस्करण बनाने के लिए अपहरण कर लेता है। एक और बात जो इसे भयावह बनाती है, रोगी को उसके प्रवेश का पता ही नहीं चलता क्योंकि कोई भी लक्षण नहीं मिलते, पर उसके पूर्व ही वायरस कई अन्य व्यक्तियों को अपना शिकार बना चुका होता है. यह वायरस पहले दो स्थानों को संक्रमित करता है, नाक और गला, फिर यह फेफड़ों में प्रवेश करता है, जहां यह कम आसानी से फैलता है लेकिन बहुत अधिक घातक होता है। जब यह नासिका या गले में रहता है, आसानी से खांसी या छींक द्वारा वातावरण में फ़ैल जाता है, लेकिन कुछ रोगियों में, यह फेफड़े के भीतर खुद को गहरा ले जा सकता है, जहां रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। इससे बचने का एकमात्र उपाय है कि हम संक्रमित व्यक्तियों के सम्पर्क में न आएं और न ही किसी को संक्रमित करें. इसके लिए घर में रहना ही सबसे कारगर उपाय है.


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