Thursday, May 21, 2020

जीने की जो कला सीख ले


जीवन एक अवसर है, प्रकृति की तरफ से मिला एक उपहार है, वही प्रकृति कभी-कभी अपना रौद्र रूप दिखाती है और लगता है जीवन समाप्त हो रहा है. कोविड का कहर क्या कम था जो अम्फन नामक भीषण समुद्री तूफान उड़ीसा व पश्चिम बंगाल में तबाही मचाने आ गया. तेज वर्षा और तेज हवाओं के कारण जान-माल का कितना नुकसान हुआ इसका पता तो बाद में चलेगा. अभी जो तस्वीरें देखने को मिल रही हैं उससे ज्ञात होता है तूफान का काफी असर हुआ है. उड़ीसा में लगभग हर साल ही तूफान आते हैं, वहाँ लोगों का मनोबल इनकी वजह से घटता नहीं है. तूफ़ान के बाद गुलाबी आकाश की तस्वीरें इसकी गवाही देती हैं. जीवन का क्रम फिर पहले की तरह चलने लगता है. वास्तव में मानव इस विशाल आयोजन में एक छोटा सा पुर्जा ही तो है, उसे अपने अस्तित्त्व के लिए हजारों वर्षों से कितना संघर्ष करना पड़ा है. यह बात और है कि इस संघर्ष में वह अपने आप से ही दूर होता चला गया है, वह जीना तो चाहता है पर जीने की कला भूल गया है. साहित्य, कला, संगीत, दर्शन जैसे विषयों को आज का युवा पढ़ना नहीं चाहता, वह तो अधिक से अधिक धन कमाने के लिए वाणिज्य और विज्ञान ही पढ़ना चाहता है. इसका प्रभाव यह हुआ है कि उसकी बुद्धि प्रखर हो गयी है पर भावना विकसित नहीं हुई है. भावनात्मक रूप से जो प्रबल है वही किसी भी संकट में अपना धैर्य बनाये रख सकता है. 

3 comments:

  1. आशा का संचार करती सुन्दर प्रस्तुति।

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  2. स्वागत व आभार शास्त्री जी !

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  3. ललित और सहज विवेचन। पवित्र भाव से लिखी हुईं। भाषा में काव्य का प्रवाह है। शब्दों में गति और क्रिया है। विचार और व्यवहार का सुंदर समन्वय है। हम स्वयं पढ़ते हैं, औरों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

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